Monday, July 17, 2006

याद किया करती हूँ,..

दर्द के दरबार में फ़रियाद किया करती हूँ,
रात तन्हाई की आबाद किया करती हूँ,
जब न मिले चाहत का कोई बहाना,
तब पलकें बन्द करके आपको याद किया करती हूँ ।

Thursday, July 13, 2006

आईने की तलाश,..

खुद को समझाना चाहती हूँ,
हर दर्द खुद से बतलाना चाहती हूँ
आज गर कोई पास होता मेरे,
तो ऐसा करने की चाहत ना होती
हर कागज पर इक आईना,
तलाशने की हसरत न होती ।

Wednesday, July 12, 2006

जुबानी मेरी,..

खामोशियों से पूछो कहानी मेरी,
तुम्हे पता चल जिन्दगानी मेरी,
मुझे खामोशी ने समझा,
और तन्हाईयों ने जाना है,
यही बतला देगें जुबानी मेरी ।