Monday, July 22, 2013

अब क्या कहें तुमसे …

अब क्या कहें तुमसे
अब क्या सुने तुमसे

न छोड़ा तुमने
कुछ कहने और सुनने को

शिकवा अगर तुमसे करें
तो ये सही न होगा

क्योंकि गलती तो
हमारी भी रही होगी कहीं

आखिर क्यूँ दिया ये हक़
हमने किसी को

जो वो हमारी ज़िन्दगी
को जार - जार कर गया

दिखाकर एक सुहाना सपना
हमें बेपनाह  कर गया !!

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया प्रस्तुति हार्दिक बधाई

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  2. बहुत सुंदर,




    यहाँ भी पधारे
    गुरु को समर्पित
    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_22.html

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