Saturday, September 07, 2013

फुरसत के चार पल ...

कभी फुरसत  में मिलें पल तो हमें बताना
हमारे पास आकर दो लफ्ज़ कह जाना

इस जहाँ में कहाँ है वक्त किसी के पास
मगर तुम तो कुछ पल मेरे साथ बिताना

हमसफ़र हो तो साथ ही चलना
गैरों की तरह यूँ तन्हा न छोड़ना

कहतें हैं की अँधेरे में साया भी साथ छोड़ देता है
पर तुम ऐसे अंधेरों से मुझे बचाना

जब कभी निराशाओं से घिरुं मैं
मेरा हाँथ थाम कर बाहर ले आना !!






Thursday, September 05, 2013

मेरे शिक्षक...

मेरे शिक्षक और उनकी मेहनत
और उनका सहयोग,
इन्ही सब ने तो हमें
यहाँ तक पहुँचाया है,
वो बंदिशें वो डाट
हमारे सर पर
उनका वो प्यार भरा हाँथ,
हममें कुछ करने का जज्बा
और ऊंचाईयों को छूने का
जूनून भरना,
खुद मशाल की तरह ज़लकर
हमें रोशनी  देना,
कोटि - कोटि आभार
उन शिछकों का
जिन्होंने हमें यहाँ
तक पहुँचाया, 
हमारे हर सपने को
साकार कराया!!