Wednesday, February 27, 2013

ये रिश्ते ...

ये रिश्ते बड़े अजीब होते हैं
संजो कर रखो तो सीप
में मोती की तरह दिखतें हैं,
ज़रा सी चूक होने पर
कांच की तरह बिखरतें हैं ,
न दिल को भायें तो
जिगर में काँटों की तरह चुभते हैं,
फिर भी हमें बड़े ही
अजीज़ होतें हैं।।

Friday, February 22, 2013

बसन्त आयो रे ...


  फिर बसन्त  आयो रे ...
बहार भरा मौसम लायो रे 

खेतों में फूली है 
सरसों पीली - पीली 
जैसे मानो लगी है 
दिल को हरसाने 
 फिर बसन्त  आयो रे ...

बागों में फिर से 
पपीहे की पीहू है गूंजी 
जैसे मानो कोई सुन्दर 
धुन हो छेड़ी 
 फिर बसन्त  आयो रे ...

अठखेलियाँ करती नदी 
फिर चली अपनी ही धुन में 
देने जीवनदान सबको 
 फिर बसन्त  आयो रे ...

भँवरे  ने भी नई कली को 
स्पर्श किया 
और एक मदहोशी भरा 
चुम्बन ले उड़ चला 
 फिर बसन्त  आयो रे ...

हर दिल ने छेड़ी है एक नई धुन 
कि अब खुशहाल हुआ जीवन 
  फिर बसन्त  आयो रे
बहार भरा मौसम लायो रे।।


Tuesday, February 19, 2013

इजहार भी तो जरूरी है ...

किसी को चाहते रहना
खता तो नहीं ...
अपनी चाहत का इजहार करना
गुनाह तो नहीं …
वो रूठने और मनाने  की चाहत रखना
पनाहों में बुलाने की ख्वाहिश करना ...
मुकद्दर में लिखा होगा तभी मिलेगा
ये कहकर ...
वक्त को गवांना सही भी तो नहीं
प्यार किया है तो ...
हाँथ बढाकर
उसका इजहार भी तो जरूरी है।।

Thursday, February 14, 2013

प्रीत की रीत ...

प्रीत की रीत भी बड़ी प्यारी है,
एक महका सा एहसास
तो कभी खुशियों आभास है ये ...

कभी बारिश की बूंदों की तरह
रिमझिम करता सावन है ये ...

कभी बसंत में खिले हुए फूलों पर
भवरों का एहसास है ये ...

तो कभी अँधेरी रातों में
जुगुनुओं की रोशिनी है ये ...

कभी अनछुई सी यादें
तो कभी तुम्हारा एहसास है ये।।




Friday, February 08, 2013

तुम्हारी याद में ...(कुछ शिकायतें )

हमें आज फिर वो दिन याद आ रहे हैं 
जब तुम हमारे साथ थे,
आज ही का वो दिन है जिसके बाद 
तुम हमारे बीच नहीं हो।
आज ही तो वो दिन है 
जो कई साल पीछे छोड़ आई हूँ,
लौट जाना चाहती हूँ उन पलों में 
वापस बुलाना चाहती हूँ तुम्हे।
बस तुम्हारा एहसास ही तो साथ है 
जो एक पल भी दूर जाता नहीं,
कैसे कहूँ किससे कहूँ 
कि कितना याद आ रहे हो तुम।
कभी-कभी तो दिल करता है 
कि आके लग जाऊं तुम्हारे गले से, 
छोड़ के इस दुनिया के सारे भ्रम।
फिर पीछे देखती हूँ तो एहसास होता है 
की तुम्ही ने तो दी हैं ये जिम्मेदारियां,
ये माँ की सूनी आँखे 
और भाई के सपने।
आखिर कैसे मुहँ मोड़ सकती हूँ इनसे 
मैं तुम्हारी तरह नहीं हो सकती, 
तुम्हारे जैसा भी नहीं कर सकती 
क्यूंकि मुझे एहसास है उन जिम्मेदारिओं का 
जो तुमने मुझे दी हैं,
निभाउंगी इन्हें पूरी लगन से 
न छोडूंगी इनका साथ कभी तुम्हारी तरह।।

I Love you Papa ...miss you so much ...




Sunday, February 03, 2013

मेरी माँ ...


कुछ प्यारी सी
कुछ भोली सी है
मेरी माँ ...
कभी लड़ती है
कभी डाटती है
और कभी बिना बात के
प्यार भी जताती है
मेरी माँ ...
काम करते नहीं थकती
कुछ भी  मांगो
झट मिल जाता है
ऐसी है मेरी माँ ...
लाड़ली हूँ मैं उसकी
कहती है मुझे वो
अपने कलेजे का टुकड़ा
लाख दर्द भरे हों
उसके दिल में
पर कभी न जताती
मेरी माँ ...
कभी सखियों की तरह
करती है बातें
कभी शिक्षकों की तरह
लगती है डाटने
बस कुछ ऐसी ही है
मेरी माँ ...
कुछ प्यारी सी
कुछ भोली सी है
मेरी माँ ...

Friday, February 01, 2013

बातें ...कुछ अनकही सी ...



कुछ अनकही सी बातें इस दिल की 
कुछ अनकही सी बातें उस दिल की 
फिर भी बिना कहे यूँ ही 
सबकुछ समझ जाना 
इशारों- इशारों में ही 
अपनी बातें कह जाना ...
बार- बार वो दिलों का धड़कना 
तुम्हें गली से गुजरते देख 
मेरा वो सरमा के छुप जाना 
फिर रोशनदान से 
चुपके से तुम्हे देखना 
हाँ आज भी याद है मुझे सबकुछ 
नहीं भूली मैं ...
तुम्हारा वो पलट-पलट कर मुझे देखना 
फिर दबे पाँव आके मेरा हाथ पकड़ना 
और फिर ये कहना 
कि रहेंगे हम साथ सदा 
तू डरती क्यों  है इतना 
मैं हूँ न ...
हाँ आज भी याद है तुम्हारा वो साथ 
पर तुम नहीं हो आज 
जाने कहाँ खो गये 
रह गई हैं तो बस तुम्हारी यादें 
ये सुनी गलियां 
और ये सूनापन मेरी ज़िन्दगी का।।