Tuesday, June 17, 2014

हसरतें बाकी रह गईं....

कुछ हसरतें रह गई  बाकी
कुछ अरमान रह गए अधूरे

कुछ सपने तुम्हारे थे
कुछ सपने हमारे थे,

संजोया था हमने
मिलके जिनको,

फिर कहाँ से ये तूफां  आया
जिसे हम रोक न सके,

हमारे अरमानों की कश्ती
बह गई उस तूफां  में,

न दोष तुम्हारा था
न हमारा,

कमबख्त तूफां ही
गलत वक्त पर आया।। 





एक नई पहचान …

हाँ खुश हूँ
मैं बहुत खुश…

एक नई  पहचान  जो मिली है मुझे
एक नई  सोंच के साथ ...

क्या हुआ गर
तुम वफ़ा  न कर सके ...

क्या हुआ गर
तुम साथ न निभा सके ...

शायद तुम्हारी भी
कोई मज़बूरी रही हो ...

या शायद तुम्हारी बेवफाई ने
मुझे इतना मजबूत बना दिया...

कि  कोई झोका
हिला नहीं सकता ...

अब तो इरादे भी मज़बूत हो चुके हैं
और हम भी ...

तभी तो जीना चाहती हूँ
इस नई  पहचान के साथ।।

Monday, June 16, 2014

इस फादर्स डे पर ...वादा है मेरा...

इस दिन के बारे में सोंचती हूँ
तो कुछ समझ नहीं आता
कि  क्या लिखूँ ....
क्या लिखूँ  उस इंसान के बारे में
जो हमारे बीच है ही नहीं
पर हाँ उसकी यादें तो हैं
जिनके सहारे हम जीते हैं
हर दिन एक नए हौंसले के साथ उठते हैं।
नहीं हो तुम हमारे बीच
इस बात का  गम तो है
पर तुमने जो हमें ज़िन्दगी दी
वो क्या कम है।
हमें जीना सिखाया
अपने पैरों पर
खड़े होना सिखाया।
वादा है मेरा तुमसे ये
कि  न तोड़ेंगें उस वादे को
जो किया था तुमसे
और खुद से।। 

Wednesday, June 11, 2014

अच्छा लगता है....

तुमसे मिलना बातें करना
याद नहीं रहता वक़्त
कब गुजर जाता है,

घंटों तुम्हारे साथ बैठना
तुमसे बातें करना
अच्छा लगता है,

तुम्हारा हर बात पे
हंसी उड़ाना
मुझे भी हंसा जाता है

तुम्हारी हर बात पर
पागलों कि तरह हंसना
अच्छा  लगता है

हाँ तुम्हारा साथ और
तुमसे बात करना
अच्छा लगता है

पता नहीं कब तक
का साथ है हमारा
पर फिर भी तुम्हारे साथ वक़्त
बिताना
अच्छा लगता है

तुमसे बातें करना
अच्छा लगता है!!

Thursday, June 05, 2014

रिश्तों में शर्तें क्यों...

किसी भी रिश्ते में
शर्तों की क्या जरूरत
आज तक कभी समझ
में न आया.…

क्यों जीना हमें
शर्तों पे
क्या बिना शर्त
कोई रिश्ता नहीं बन  सकता.…

पर शायद एक रिश्ता है
जो बिना किसी शर्त
के चलता है....

माँ....
बिना किसी शर्त
रात भर जागकर
धूप  में तपकर

हमें जीवन देती है
जीना सिखाती है
हमारी हर जरूरत को
पूरा करती है.…

सबसे अनमोल रिश्ता है
जो बिना किसी
शर्त के चलता है।।    

Wednesday, June 04, 2014

आईने की तलाश,..

खुद को समझाना चाहती हूँ,

हर दर्द खुद से बतलाना चाहती हूँ
आज गर कोई पास होता मेरे,
तो ऐसा करने की चाहत ना होती
हर कागज पर इक आईना,
तलाशने की हसरत न होती ।