Monday, December 19, 2016

कब्र खोदने से सुकून नहीं मिलता ....

कब्र खोदने से सुकून नहीं मिलता 
न ही ज़िन्दगी की खोई हुई वो शाम !

खुद को बदलने के लिए हौंसला ही काफी है 
मिलता नहीं मांगने से वो आसमाँ !

फ़रिश्ते हमें मिलते नहीं यूँ ही 
न ही मिलता है ज़िन्दगी का वो एहसास !

काश कि  ऐसा होता काश कि  वैसा होता 
उम्मीदों का ताना बाना कुछ ऐसा ही होता है !

जो मिलें हैं ये पल नसीब से 
वो कुछ तुम्हारे हैं और कुछ हमारे !

न डालो फ़िक्र की राख अब तुम इनपे 
कि अब वक़्त नहीं है फिर धूमिल होने का !!

Monday, December 05, 2016

कल रात चाँद से कुछ गुफ़्तुगू की...

कल रात चाँद से कुछ गुफ़्तुगू की
तुम्हारे रूठे होने की शिकायत की
तो हँस के चाँद ने कहा....
मिला है तुझे दोस्त तेरे ही जैसा
जिसे रूठने मानाने का खेल
बखूबी आता है
जा के उसी से पूछ ले
कि उसके मन में क्या छुपा है
कहीं सच में दिल को कुछ चुभा है
या वो तुझे परेशां करके यूँही हंस रहा है !!



Thursday, December 01, 2016

साँसों में दबी ...

कहीं खामोश रातें हैं  
तो कहीं तन्हा ज़िन्दगी 
कहीं साँसों में दबी 
शिशकियों की आवाज़ है 
किसी के अपनत्व की तलाश में 
भटकता बावँरा  ये मन 

कुछ कहने की आस में 
सहमते हुए दो लब... 
आज कोई तो खलल है 
इस मंज़र में 
शायद दिल का गुबार 
फटने को है !!

Thursday, November 17, 2016

इंसान हैं...

अगर करीने से संभाल के 
रख सकते हम खुद की किस्मत को 
खुदा  की कसम 
किसी को भी हक़ न देते 
खुद तक पहुँचने का 

इंसान हैं... 
इंसानी हवाला देके 
लोग हमें सुनाते हैं 
वरना तो इस नामुराद दुनिया 
की कहानी ही अलग होती !!


Friday, October 21, 2016

चलो कुछ दिए जलाएं....


इस दिवाली चलो कुछ दिए जलाएं
कुछ उदास चेहरों की
मुस्कुराहट लेके आएं

जो हमारे लिए जीतें है
जो हर वक़्त हमारी जररूरत
पूरी करतें हैं

जो हमारी ज़िन्दगी का
एक अटूट हिस्सा
बन चुके हैं

चलो आज हम उनके
चेहरे पे थोड़ी सी
हंसी लेके आएं

कुछ हंसी की पटाखे फोड़ें
उनकी आँखों की झिलमिल सी 
मुस्कराहट लेके आएं

इस दिवाली चलो कुछ दिए जलाएं
कुछ उदास चेहरों की
मुस्कुराहट लेके आएं !!!

Tuesday, October 04, 2016

सूरज ने कभी...




सूरज ने कभी जद्दोज़हद नहीं की चाँद से 
बस हौले से बोल दिया,
जब कभी बदली छाये मुझपे 
तो तुम चुपके से आ जाना !!

Friday, September 23, 2016

माना कि ज़िन्दगी आसाँ...

माना कि ज़िन्दगी आसाँ  नहीं होती,
जब जीने की कोई वजह नहीं होती!
अधूरे लम्हों की अधूरी कहानी सी लगती है,
अपनी ही दास्ताँ बेगानी सी लगती है !
माफ़ कर सको तो कर देना उस शक्स को,
वरना ज़िन्दगी हमारी नहीं लगती है !!

Sunday, September 18, 2016

किसी हवा के झोके के साथ...

किसी हवा के झोके के साथ 
तुम्हे मेरी याद छू जायेगी 
चाहो न चाहो 
इस दिल की आवाज़ 
उस दिल पहुँच 
ही जायेगी !!!



Friday, September 09, 2016

तो मैंने भी सोंचा ...

एक कोशिश लोगों ने की थी 
हमें तोड़ने की 
तो मैंने भी सोंचा 
एक कोशिश हम भी कर लें 
लोगों को जोड़ के देख लें !!

Friday, August 19, 2016

कुछ खट्टे मीठे पलों की दे रही हूँ ये यादें ...



कुछ खट्टे मीठे पलों की 
दे रही हूँ ये यादें ,
उम्मीद है संभाल  के रखोगे !
ज़िन्दगी की इस दौड़ में 
इस दोस्त को तो याद रखोगे !
कहने के लिए तो बहुत कुछ है 
मगर अभी के लिए 
बस इतना ही कहना है... 

"खुद पे रखना भारोसा 
न ही कभी उम्मीद खोना 
हालातों से हारना आशां है मगर 
नामुंमकिन तो नहीं... 
सब मिल जाएगा वक़्त पे 
बस हौंसले के साथ 
आगे बढ़ते रहना !!"




Thursday, August 11, 2016

चाँद से भेजी है ...

चाँद से भेजी है 
थोड़ी सी चाँदनी 
तुम्हारे लिए 
अगर वक़्त मिले 
तो खिड़की का 
पर्दा उठा के 
देख लेना !!! 






Friday, July 29, 2016

तेरा अल्लहड़पन याद आएगा...






तेरा अल्लहड़पन याद आएगा,
तेरी ये अनसुलझी बातें याद आएंगी !
तेरे संग बिताये इन लम्हों में,
तेरी महकी सी याद आएगी !
कह नहीं सकती कि तू दिल के करीब है कितना,
तेरे संग गुजरा हर लम्हा याद आएगा !
तेरी ये बातें ये मुलाकातें
सबकुछ संभाल के,
रखूँगी इस दिल में ! 
जा रही है तू यहाँ से .. 
मत समझ जा रही है तू दिल से,
बस पंख खोल के उड़ना 
इस खुले आसमाँ  में !
ज़मी तेरी है और ये आसमाँ  भी तेरा है...  
बस बुन लेना सपनो की चादर को ,
और उड़ जाना इस खुलेआसमाँ में !!

Thursday, July 14, 2016

क्यों खामोश हैं ये रातें ...


क्यों कुछ नहीं बोलती ये रातें 
क्यों नहीं करती हैं ये बातें 
शाम की सुहानी छांव के बाद 
माना हंसी हैं ये रातें 
चाँद की रौशनी में डूबी 
शबनमी ये रातें 
पर कभी कभी ये ख़ामोशी भी 
बड़ी बेगानी सी लगती है 
अनजाना है कोई वो 
जिसके बारे में गुफ्तगू करनी है 
इन रातों से... 
पर न जाने 
क्यों कुछ नहीं बोलती ये 
आखिर क्यों खामोश हैं ये रातें !!!


Thursday, June 16, 2016

रात कैसे गुजर गई ...


रात कैसे गुजर गई 
चाँद निहारते निहारते 
वक़्त का कुछ पता न चला !

इतनी कशिश न तुम्हारी बातों में थी 
न ही तुम्हारी यादों में 
जो हमें पूरी रात जगा सकते !!!

Sunday, June 12, 2016

दिल टूटने का ज़िक्र हम करना नहीं चाहते ...

दिल टूटने का ज़िक्र हम करना नहीं चाहते
तुम्हारी यादों के साये में हम रहना नहीं चाहते
वक़्त रहते ही संभलने की कोशिश करेंगे हम
इस खुदगर्ज़ दुनिया में बेवक़्त मरना नहीं चाहते हम !!!

Wednesday, June 01, 2016

डरती हूँ ...

सीप में  मोतियों की तरह
सजाया है तुझे इस दिल में
डरती हूँ  कि  कहीं
तुझे कोई चुरा न ले !!! 

Monday, May 16, 2016

नाज़ुक रिश्ते...

वक़्त रहते ही रिश्तों को संभाल लेना चाहिए 
क्योंकि इनकी उलझन भी बड़ी अजीब होती है 
जरा सी चूक होते ही 
अक्सर टूट जातें हैं !!


Tuesday, May 03, 2016

कल की सोंच में...

जब तुमसे कुछ कहने के लिए 
तुम्हारे पास आना चाहा 
तुम्हारे पास वक़्त ही न था .. 
जब तुम्हारी पनाहों में आकर 
कुछ वक़्त गुजारना चाहा 
तुम्हारे पास वक़्त ही न था .. 
हम वक़्त के ऐसे मोहताज़ क्या हुए 
कि  अब वक़्त आया तो 
न कुछ कहने को है 
न ही कुछ सुनने को !!!

Sunday, April 10, 2016

यहाँ खुद मिटकर खुद को पाना होता है...

ये दुनिया बड़ी अजीब है 
यहाँ खुद मिटकर खुद को पाना  होता है
लोगों की इस भीड़ में 
एक झूठा चेहरा दिखाना होता है 
खुद को गवां बैठे हैं हम 
कुछ कर दिखाने के चक्कर में 
हम तो बदलना नहीं चाहते थे 
हमें तो हालातों ने बदला है 
हम तो यह भी भूल चुके हैं... 
कि क्या बनने आये थे 
और क्या बन गए के रह गए हैं 
ज़िन्दगी की इस भागदौड़ में 
सही तो कहा है किसी ने 
कि यहाँ खुद मिटकर 
खुद को पाना  होता है !!!

Sunday, March 13, 2016

हमें इख्तलाह भी न हुई...

हमें इख्तलाह भी न हुई
तुम्हारी रुसवाई की
और तुम कुछ यूं ख़फ़ा हुए
कि ज़माने को भी भनक न लगी !!